गाज़ीपुर। चार्टेड एकाउंटेंट (सीए) अपनी कड़ी मेहनत और प्रमाणित योग्यता के साथ समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे टैक्स और निवेश से जुड़े मामलों में जनता और व्यापारियों को मार्गदर्शन देते हैं, और सरकार से जोड़े रखते हैं। हालाँकि, हाल के दिनों में, अनधिकृत साइबर कैफे द्वारा प्रोजेक्ट चोरी करने की समस्या ने इन पेशेवरों के लिए एक नया सिरदर्द खड़ा कर दिया है।
सीए आनंद सिंह ने इस मुद्दे पर चिंता जताते हुए बताया कि कड़ी परीक्षा पास करने के बाद ही कोई व्यक्ति सीए बन सकता है, और इसके बाद ही वे भारत के इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टेड अकाउंटेंट्स से प्रमाण पत्र प्राप्त करते हैं। इसके बाद, वे जीएसटी, आयकर और कंपनी एक्ट से संबंधित मामलों में प्रोजेक्ट रिपोर्ट और बैलेंस शीट तैयार करने के लिए काम करते हैं। हालांकि, इनकी मेहनत को साइबर कैफे वाले चुराकर बेच देते हैं, जो पूरी प्रक्रिया को बेकार बना देता है। इस तरह की धोखाधड़ी से व्यापारी और निवेशक दोनों ही प्रभावित होते हैं।
सीए पंकज यादव ने यह भी कहा कि अनधिकृत साइबर कैफे वाले बिना किसी डिग्री के काम कर रहे हैं और व्यापारियों को गुमराह कर रहे हैं। यह समस्या तब बढ़ जाती है जब व्यापारियों को नियमों और प्रक्रियाओं की जानकारी नहीं होती, और वे इन जालसाजों के जाल में फंस जाते हैं।
इसी तरह, सीए धनंजय तिवारी ने जीएसटी प्रणाली में सुधार की आवश्यकता की बात की। उनका कहना था कि यह प्रणाली व्यापारियों के लिए अत्यधिक जटिल है और अगर इसे आयकर की तरह सरल किया जाए, तो व्यापारियों को काफी राहत मिलेगी। इसके अलावा, छोटे व्यापारियों को ब्याज और जुर्माने से राहत मिलनी चाहिए।
इसके साथ ही, सीए अनुज अग्रवाल ने ऑनलाइन नोटिस की समस्या पर भी ध्यान आकर्षित किया। वे बताते हैं कि जीएसटी में व्यापारियों को ऑनलाइन नोटिस भेजे जाते हैं, लेकिन इसका जवाब ऑफलाइन मांगा जाता है। यह प्रक्रिया व्यापारियों के लिए भ्रमित करने वाली होती है और इस वजह से कई बार एकपक्षीय आदेश जारी हो जाते हैं।
सीए फहद खान ने सरकार की योजनाओं के सही क्रियान्वयन में भी बाधाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों की लॉबिंग की वजह से योजनाओं का वास्तविक लाभ आम जनता तक नहीं पहुँच पाता। ऑनलाइन आवेदन के बावजूद, आवेदकों से सुविधा शुल्क लिया जाता है और यदि वे इसे देने से इंकार करते हैं, तो उनका आवेदन रद्द कर दिया जाता है।
अंत में, सीए काजल गुप्ता और महफूज आलम ने सीए की फीस और लोगों के साइबर कैफे वालों के पास जाने की आदत पर प्रकाश डाला। उनका कहना था कि जागरूकता की कमी के कारण लोग अनधिकृत लोगों के पास जाते हैं, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
समाप्ति में, सभी सीए इस बात पर सहमत हैं कि जीएसटी और अन्य कराधान प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाना चाहिए, और व्यापारियों और निवेशकों को उचित तरीके से जागरूक किया जाना चाहिए। साथ ही, अनधिकृत साइबर कैफे वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुँच सके।
इसलिए, सरकार और संबंधित विभागों को सीए के काम की महत्ता समझते हुए, इसे सही तरीके से लागू करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए।