गाज़ीपुर। एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश को “गढ़ा मुक्त सड़क” देने का सपना दिखा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। गाज़ीपुर जिले की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। ज़िम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता के चलते मोहम्मदपुर उर्फ बक्सुपुर चौराहा, रौजा, बद्री चंद चौराहा, बकुलियापुर, चक दराब चौराहा सहित शहर की कई प्रमुख सड़कों पर गड्ढे नहीं, बल्कि 'सुपर गड्ढे' देखने को मिल रहे हैं।

इन सड़कों से गुजरना अब लोगों के लिए किसी यातना से कम नहीं है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बारिश के समय तो हालात और भी खराब हो जाते हैं। पानी भरने के कारण गड्ढे दिखाई नहीं देते और राहगीरों का संतुलन बिगड़ जाता है। कई बार दोपहिया वाहन चालक गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। इसके बावजूद ज़िला प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।

डीएम और PWD के अधिशासी अभियंता पर उठते सवाल चौंकाने वाली बात यह है कि इन क्षेत्रों का निरीक्षण करने और सड़कों की मरम्मत की दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ज़िला अधिकारी (DM), PWD के अधिशासी अभियंता और अन्य जिम्मेदार अफसर इन खराब सड़कों से हर दिन गुजरते हैं, लेकिन अब तक इन गड्ढों की मरम्मत की कोई योजना नज़र नहीं आ रही है। सवाल उठता है कि जब जिम्मेदार ही गाफिल हैं, तो फिर जनता किससे उम्मीद करे?

“गढ़ा मुक्त सड़क” केवल कागजों पर? प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई “गढ़ा मुक्त सड़क अभियान” योजना का हश्र गाज़ीपुर में पूरी तरह फेल होता नजर आ रहा है। शहर और ग्रामीण इलाकों की सड़कों की हालत यह सवाल खड़ा करती है कि क्या यह योजना सिर्फ सरकारी फाइलों और बयानों तक सीमित है?

स्थानीय नागरिकों ने कई बार शिकायत की, सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरें साझा कीं, लेकिन नतीजा सिफर। अधिकारी केवल आश्वासन देते हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं होती।

जनता की उम्मीदें टूटीं, जिम्मेदार कौन? स्थानीय लोग कहते हैं, “रोज़ कोई न कोई गिरता है, चोटिल होता है। बच्चे स्कूल जाते हैं तो डर लगता है। अगर सरकार सड़क नहीं बना सकती, तो फिर ये अधिकारी किस बात की तनख्वाह ले रहे हैं?”

ऐसे में यह बड़ा सवाल बनकर खड़ा होता है — गाज़ीपुर को “गढ़ा मुक्त” कब बनाया जाएगा? क्या योगी सरकार की घोषणाएं सिर्फ चुनावी जुमले हैं? और अगर नहीं, तो फिर इन अफसरों की जवाबदेही तय कब होगी?

जनता अब सिर्फ जवाब नहीं चाहती, उसे एक ठोस कार्रवाई चाहिए। वक़्त आ गया है कि प्रदेश सरकार गाज़ीपुर की जमीनी सच्चाई पर ध्यान दे, वरना जनता का भरोसा टूटने में देर नहीं लगेगी।