गाजीपुर। जय गुरुबंदे आश्रम, नगवा चौकिया विकासखंड, जनपद गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) में चल रहे तीन दिवसीय सत्संग, भजन एवं ध्यान योग कार्यक्रम के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए परम संत स्वामी जय गुरुबंदे जी ने कहा कि ईश्वर की उपासना के चार प्रमुख कारक होते हैं – रूढ़िवाद, भय, सुख-समृद्धि की लालसा तथा प्रेम और आस्था। इन सभी में प्रेम और आस्था ही ऐसे कारक हैं जो भक्ति के सर्वोत्तम मार्ग हैं एवं समस्त विकारों से रहित हैं।

स्वामी जी ने कहा कि रूढ़िवाद ऐसी परंपरा है जो तर्क से परे होती है और केवल पीढ़ियों से चली आ रही मान्यताओं पर आधारित होती है। भय से प्रेरित होकर की गई उपासना ईश्वर के सच्चे साक्षात्कार तक नहीं पहुंचा सकती। वहीं सुख और समृद्धि की लालसा में की गई भक्ति आत्मा की मुक्ति नहीं दे सकती। उन्होंने कहा कि केवल प्रेम और आस्था के साथ की गई निस्वार्थ भक्ति ही, सद्गुरु द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर, मोक्ष की प्राप्ति कर सकती है।

स्वामी जय गुरुबंदे जी ने अपनी वाणी में कहा – “रीति-रिवाज जो त्याग दे, ऐसा जग में कोय। संत कृपा से जय गुरुबंदे, हंस वही तो होय।।”

तीसरे दिन होगा नामदान कार्यक्रम जय गुरुबंदे स्वर योग साधना के मीडिया प्रभारी शशि दास द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन रविवार, 20 अप्रैल की सुबह बेला में स्वामी जय गुरुबंदे जी द्वारा नामदान दिया जाएगा। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।

उल्लेखनीय है कि परम संत स्वामी जय गुरुबंदे जी द्वारा देश-विदेश में दर्जनों आश्रमों की स्थापना की गई है, जहां नियमित रूप से सत्संग, भजन, ध्यान योग के साथ-साथ आयुर्वेद द्वारा बेसर विधि से निःशुल्क उपचार भी किया जाता है।