गाजीपुर। जनपद के बहरियाबाद क्षेत्र के छोटे से गांव भाला बोझवां की बेटी अनीता यादव ने वह कर दिखाया है, जो शायद हर संघर्षशील परिवार का सपना होता है। बिना पक्के मकान और बिना एंड्रॉइड फोन के बावजूद अनीता ने प्रदेश में 10वीं बोर्ड परीक्षा में नौवां स्थान हासिल कर जिले का मान बढ़ाया है। सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बीच अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए अनीता ने साबित कर दिया कि सच्ची लगन और मेहनत के सामने कोई भी बाधा टिक नहीं सकती।

अनीता शहीद चंद्रशेखर आजाद इंटर कॉलेज, सलेमपुर बघाई की छात्रा हैं। वह बताती हैं कि उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि बेहद सामान्य है। उनके पिता सुरेश यादव केवल आठवीं कक्षा तक पढ़े हैं और आजीविका के लिए पंजाब की एक फैक्ट्री में हेल्पर का काम करते हैं। मां शीला देवी निरक्षर हैं और घर पर खेती-बाड़ी का काम देखती हैं। अनीता के बड़े भाई अरविंद ने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और बेंगलुरु में काम करने चले गए, जबकि छोटे भाई आयुष उर्फ गोलू घर पर ही रहते हैं और मां के साथ खेती में हाथ बंटाते हैं। अनीता भी खेतों में मां और भाई का सहयोग करती हैं।

घर की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि पूरे परिवार के पास एक भी एंड्रॉइड फोन नहीं है। पक्का मकान भी नहीं है, टिनशेड के एक कच्चे से घर में पूरा परिवार रहता है। फिर भी अनीता ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय भाला खुर्द से कक्षा दो तक प्राप्त की। फिर कक्षा तीन से पांच तक सरस्वती ज्ञान मंदिर रायपुर, और कक्षा छह से आठ तक माता रामरती पूर्व माध्यमिक विद्यालय रायपुर से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने शहीद चंद्रशेखर आजाद इंटर कॉलेज में दाखिला लिया।

अनीता ने बताया कि वह नियमित स्कूल जाती थीं। इसके साथ ही वे डेढ़ घंटे की कोचिंग भी लेती थीं और घर पर प्रतिदिन छह घंटे पढ़ाई करती थीं। कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने पढ़ाई को कभी बोझ नहीं बनने दिया। उनकी लगन, अनुशासन और मेहनत का ही परिणाम है कि आज वे प्रदेश की टॉपर्स की सूची में शामिल हैं।

अनीता की यह सफलता केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे जनपद के लिए प्रेरणा है। उन्होंने यह दिखा दिया कि यदि इरादे मजबूत हों तो अभाव भी सफलता की राह नहीं रोक सकता। अनीता का सपना है कि वह आगे चलकर समाज में बदलाव लाए और अन्य बेटियों को भी शिक्षा के लिए प्रेरित करें।

अनीता यादव जैसे छात्रों की कहानी यह सिखाती है कि सच्ची प्रतिभा किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती।