गाजीपुर।श्री गंगा आश्रम द्वारा आयोजित मानवता अभ्युदय महायज्ञ अपनी पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। वैदिक हवन, श्रीरामचरितमानस का नवाह्न पारायण, सभी आगंतुकों को जलपान और दो समय भोजन का क्रम निर्बाध रूप से चलता रहा। आश्रम के सर्वराहकार और मानव धर्म प्रसार के अध्यक्ष बापू जी महाराज व्यवस्था की निगरानी में लगे रहे।
संध्या सत्संग में विवेक चूड़ामणि के अगले प्रसंग पर विचार करते हुए साहित्यकार माधव कृष्ण ने कहा कि, मनीषियों ने चार साधनाओं या योग्यताओं की बात की है जिनके बिना मनुष्यता असंभव है: नित्य और अनित्य वस्तु के बीच अंतर करने की क्षमता या विवेक, इस लोक और परलोक में किसी भी प्रकार के विषयभोग की इच्छा का त्याग या वैराग्य, मुक्त होने की इच्छा या मुमुक्षुत्व, छ: संपत्तियां: शम, दम, तितिक्षा, उपरति, श्रद्धा, समाधान।
उन्होंने कहा कि ब्रह्म सत्य है और जगत मिथ्या है, इस विवेक का यही आधार सूत्र है और विचार के द्वारा इसका दृढ़ निश्चय करना होता है। लेकिन संसार मिथ्या है इसका यह अर्थ नहीं है कि मनुष्य संसार छोड़ दे। संसार में सर्वत्र ब्रह्मदर्शन करना है। यदि हम किसी मनुष्य के अंदर अमुक जाति या धर्म या संपत्ति या हैसियत या सौंदर्य या बल या निर्बलता इत्यादि देखते हैं तो हमारे अंदर विवेक नहीं है। ब्रह्मदर्शन का अर्थ है कि हम प्रत्येक को मनुष्य मानें। इसीलिए बाबा गंगारामदास कुछ भी बनने से पहले मनुष्य बनने का निर्देश देते हैं।
बापू जी ने ज्ञान दीपक की बात करते हुए कहा कि, आजकल सत्य पराजित नहीं हो रहा है। आजकल लड़ाई सत्य और झूठ के बीच नहीं है, कम सत्य और अधिक सत्य के बीच है। लोगों ने सत्य के साथ मिलावट कर रखी है। इस मिलावट भरे सत्य को झूठ ही समझना चाहिए। बाबा गंगारामदास ने शास्त्रों के मत का समर्थन करते हुए कहा कि कलियुग की एकमात्र तपस्या सत्य है। इस सत्य को पकड़ना ही सबसे बड़ी पूजा, उपासना, धर्म और यज्ञ है। इसलिए उन्होंने सभी को सूत्र दिया कि, झूठ बोलने वाला कभी आगे नहीं बढ़ सकता।
सभा का समापन गुरु अर्चना, ईश्वर विनय, प्रसाद वितरण और भंडारे से हुए। कल इसका सातवां दिन होगा।