प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हर घर जल’ योजना और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकास के दावों को नगर पालिका की खींचतान पलीता लगा रही है। जनता पानी की एक-एक बूंद को तरस रही है, और जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में व्यस्त हैं।
नगर अध्यक्ष प्रतिनिधि विनोद अग्रवाल का कहना है कि ठेकेदार पुराने भुगतान न मिलने के कारण मरम्मत कार्य से हाथ खींच चुके हैं। उन्होंने अधिशासी अधिकारी पर आरोप लगाया कि वे जानबूझकर पेयजल और अन्य विकास कार्यों में बाधा डाल रहे हैं।
वहीं, अधिशासी अधिकारी अमिता वरुण ने अपने बचाव में कहा कि चार बार बजट पास करने के लिए पत्र भेजा गया, लेकिन अध्यक्ष द्वारा अब तक बोर्ड की बैठक ही नहीं बुलाई गई। जब तक नया बजट पास नहीं होगा, तब तक भुगतान नहीं किया जा सकता।
हालांकि ईओ का दावा है कि उन्होंने पानी के टैंकरों के माध्यम से आपातकालीन जलापूर्ति की व्यवस्था की है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि ये प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।
गाजीपुर की जनता को चाहिए पानी, लेकिन मिल रहा है केवल आश्वासन और राजनीति। सवाल यह है कि क्या प्रशासनिक लड़ाई की आग में जनता की प्यास बुझ पाएगी?