गाजीपुर। क्षेत्रीय अपराध और अवैध धंधों का पर्दाफाश करने वाले पत्रकार को अब अपनी और अपने परिवार की जान की चिंता सताने लगी है। गाजीपुर जिले के भांवरकोल थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सुखडेहरा निवासी और एक दैनिक समाचार पत्र के संवाददाता जयप्रकाश राय को गांजा तस्करी पर लगातार समाचार प्रकाशित करने के कारण कुख्यात गांजा तस्कर द्वारा खुलेआम जान से मारने की धमकी दी गई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, पत्रकार जयप्रकाश राय ने बीते तीन दिनों समाचार पत्र में भांवरकोल क्षेत्र में हो रही अवैध गांजा और शराब तस्करी की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिससे तस्करों में हलचल मच गई थी। इसी क्रम में 20 अप्रैल 2025 की शाम करीब 7 बजे, जब पत्रकार जयप्रकाश अपने घर के दरवाजे पर बैठे थे, तभी मोटरसाइकिल पर सवार होकर कुख्यात गांजा तस्कर उनके पास पहुंचा।

तस्कर, जो विहार का रहने वाला है और अपराध की दुनिया में अपनी खतरनाक छवि के लिए जाना जाता है, ने जयप्रकाश को धमकी देते हुए कहा, "राय साहब, खबरें क्यों छाप रहे हैं? आज के बाद यदि गांजे के धंधे की कोई खबर अखबार में आई, तो इस धरती पर नहीं रहोगे। मैं लाखों रुपये हर महीने पुलिस और अधिकारियों को देता हूँ। किसी की मजाल नहीं कि मेरा धंधा बंद करवा दे। थाना, सीओ, आबकारी सब मेरे साथ हैं। कोई भी जांच होती है, तो सबसे पहले मुझे खबर मिलती है।"

तस्कर ने आगे कहा, "यह धंधा मैं वर्षों से कर रहा हूँ और कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। आखिरी बार समझा रहा हूँ खबर छापना बंद करो। अगर किसी को इस धमकी के बारे में बताया, तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना।"

इस भयावह धमकी के बाद जयप्रकाश राय बेहद डर गए और उन्होंने तुरंत प्रशासन से अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि भांवरकोल क्षेत्र में खुलेआम गांजा बेचा जा रहा है और प्रशासन को इसकी जानकारी देने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

पत्रकार का आरोप है कि उक्त तस्कर के रसूख और प्रशासनिक संरक्षण के कारण पूरे क्षेत्र में नशे का धंधा बेरोक-टोक चल रहा है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो उनकी जान को गंभीर खतरा हो सकता है।

पत्रकार संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक समेत शासन से मांग की है कि आरोपी गांजा तस्कर के खिलाफ तत्काल सख्त कार्यवाही की जाए, पत्रकार और उनके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, साथ ही प्रशासनिक लापरवाही की भी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सच्चाई के लिए कलम उठाने वालों को इसी तरह धमकियों और खौफ के साए में काम करना पड़ेगा? अगर पत्रकारों की सुरक्षा ही सुनिश्चित नहीं हो पाएगी, तो समाज की समस्याएं उजागर करने का हौसला कौन रखेगा?

प्रशासन और सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में तत्परता दिखाते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए और पत्रकार की सुरक्षा को प्राथमिकता पर रखे।