कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और संघ की राष्ट्रीय एवं प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना मौर्य ने अपने ओजस्वी संबोधन में महिला शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा, "आज शिक्षिकाएं हर मोर्चे पर सशक्त हैं, लेकिन उन्हें एक संगठित मंच की आवश्यकता है जहाँ उनकी आवाज बुलंद होकर नीतिगत बदलाव का कारण बन सके।" उन्होंने कहा कि महिला शिक्षक समाज की रीढ़ की हड्डी हैं और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ पूरी मजबूती के साथ कार्य करता रहेगा। उन्होंने शिक्षिकाओं से आह्वान किया कि वे न केवल अपने अधिकारों के लिए, बल्कि अपने दायित्वों को लेकर भी सजग रहें और संघ को सशक्त बनाने में भागीदार बनें।
इस अधिवेशन में गाजीपुर जिला अध्यक्ष प्रीति सिंह ने अपनी सशक्त और प्रेरणादायक प्रस्तुति से सभी शिक्षिकाओं के मन में जोश भर दिया। उन्होंने कहा, "हमारा उद्देश्य सिर्फ शिकायत करना नहीं है, बल्कि एक ऐसा मंच तैयार करना है जहाँ शिक्षिकाएं खुलकर अपनी बात कह सकें और संगठन के माध्यम से समाधान की दिशा में काम कर सकें।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संघ हर परिस्थिति में शिक्षिकाओं के साथ खड़ा रहेगा, चाहे वह सेवा संबंधित समस्याएं हों या कार्यस्थल पर उत्पीड़न के मुद्दे।
अधिवेशन में संघ की कई प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहीं और उन्होंने अपने-अपने विचार रखे। सुमन चौहान और मंजू चौरसिया (जिला संगठन मंत्री) ने संगठन की अब तक की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं को साझा किया। रिचा सिंह (जिला उपाध्यक्ष), विशाखा मौर्य, माया यादव, गायत्री राय, माया सिंह, सुप्रिया जयसवाल, रंजन प्रधान, अपराजिता सिंह, रितु सिंह, गीता वर्मा, शाहीन फातिमा, आरती यादव, संध्या सिंह, सुषमा कुशवाहा, उषा गौतम, अनुराधा सिंह, प्रतिभा सिंह, सरोज भारती, वीणा पांडे, रिम्पू सिंह और सुशीला ने भी बारी-बारी से अपने विचार रखे और संगठन को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जाहिर की।
पदाधिकारियों ने संगठन की भूमिका को स्पष्ट करते हुए कहा कि शिक्षिकाओं को अब चुप रहने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें अपनी समस्याओं के समाधान के लिए एकजुट होकर आवाज उठानी होगी। संघ का उद्देश्य शिक्षिकाओं को केवल मंच देना नहीं, बल्कि उन्हें नेतृत्व के लिए प्रेरित करना भी है।
शिक्षिकाओं ने अपनी प्रस्तुतियों और अनुभवों के जरिए शिक्षा व्यवस्था की चुनौतियों को सामने रखा और समाधान के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया। पूरे आयोजन में शिक्षिकाओं का जोश, आत्मविश्वास और एकता देखते ही बन रही थी।
यह अधिवेशन न केवल संगठनात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि इसने साबित किया कि महिला शिक्षिकाएं अपनी भूमिका को कक्षा तक सीमित नहीं रखतीं। वे नेतृत्व के मंच पर भी प्रभावी ढंग से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। शिक्षिकाओं ने संगठन को और मजबूत बनाने का संकल्प लिया, जो आने वाले समय में महिला शिक्षिकाओं के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा।